फिर से लें खुली सांस

ASTHMA का आयुर्वेदिक इलाज, बिना SIDE EFFECT के

खुश आयुर्वेद ASTHMA को जड़ से ठीक करने पर काम करता है, ताकि आपको मिले लंबी राहत – सिर्फ लक्षणों को दबाने वाला इलाज नहीं।

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अस्थमा क्या है?

अस्थमा एक दीर्घकालिक (क्रॉनिक) श्वसन रोग है, जिसमें आपकी श्वसन नलिकाएं (Airways) सूज जाती हैं, संकरी हो जाती हैं और उनमें बलगम बनने लगता है। इस कारण हवा का आना-जाना मुश्किल हो जाता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई, सीने में जकड़न, खांसी और सीटी जैसी आवाज आने लगती है।

अस्थमा का असर केवल फेफड़ों पर ही नहीं, बल्कि आपकी जीवनशैली, नींद और कामकाज पर भी पड़ता है। कई बार यह समस्या सालों तक बनी रहती है और मौसम, प्रदूषण या संक्रमण के समय अचानक बढ़ सकती है।

भारत में लाखों लोग अस्थमा से पीड़ित हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इसे केवल इनहेलर या तात्कालिक दवाओं से दबाते हैं। ये अस्थायी राहत तो देते हैं, लेकिन बीमारी की जड़ पर काम नहीं करते। यही कारण है कि अस्थमा बार-बार लौट आता है।

अस्थमा के दौरान शरीर में यह समस्याएं होती हैं:

  • सूजन (Inflammation): श्वसन नलिकाओं की भीतरी परत में सूजन

  • संकरी नलिकाएं (Airway Narrowing): हवा के प्रवाह में रुकावट

  • अत्यधिक बलगम (Excess Mucus): सांस लेने में और परेशानी

यह स्थिति अचानक बढ़ सकती है, जिसे अस्थमा अटैक कहा जाता है। अटैक के समय तुरंत चिकित्सा सहायता लेना जरूरी होता है।

सामान्य लक्षण

  • सांस फूलना

  • सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज

  • सीने में जकड़न

  • बार-बार खांसी (खासकर रात या सुबह जल्दी

अस्थमा के कारण

  1. एलर्जी (धूल, परागकण, पालतू जानवरों के बाल)

  2. वायु प्रदूषण

  3. ठंडी हवा या मौसम में बदलाव

  4. श्वसन संक्रमण

  5. तनाव और चिंता

  6. आनुवंशिक कारण

अस्थमा के प्रकार

अस्थमा हर व्यक्ति में एक जैसा नहीं होता। इसके कारण, लक्षण और ट्रिगर्स अलग-अलग हो सकते हैं। आयुर्वेद में भी अस्थमा को तामक श्वास के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें वात और कफ दोष की असंतुलन मुख्य कारण माने जाते हैं। आधुनिक दृष्टिकोण से, अस्थमा के कुछ प्रमुख प्रकार हैं:

1. एलर्जिक अस्थमा (Allergic Asthma)

  • धूल, परागकण, पालतू जानवरों के बाल, फंगस या प्रदूषण जैसी चीजों से ट्रिगर होता है।

  • आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में शुरू होता है।

2. गैर-एलर्जिक अस्थमा (Non-Allergic Asthma)

  • ठंडी हवा, व्यायाम, तनाव, मौसम परिवर्तन या संक्रमण के कारण होता है।

  • इसमें एलर्जी का संबंध जरूरी नहीं है।

3. व्यायाम-प्रेरित अस्थमा (Exercise-Induced Bronchoconstriction)

  • तेज दौड़ने, खेलने या कड़ी शारीरिक गतिविधि के दौरान या बाद में सांस फूलना।

4. पेशेवर अस्थमा (Occupational Asthma)

  • कार्यस्थल पर धूल, रसायन या धुएं के लंबे समय तक संपर्क से होने वाला अस्थमा।

5. जेनिटिक अस्थमा (Genetic Asthma)

  • परिवार में अस्थमा का इतिहास होने पर यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी आ सकता है |
  • आनुवंशिक कारणों से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कुछ ट्रिगर्स पर अत्यधिक प्रतिक्रिया करती है, जिससे श्वसन नलिकाएं सूज जाती हैं।
  • यह प्रकार अक्सर बचपन से शुरू होकर जीवनभर रह सकता है, लेकिन सही देखभाल और आयुर्वेदिक उपचार से नियंत्रण में रखा जा सकता है।

अस्थमा की गंभीरता के स्तर

अस्थमा की गंभीरता का निर्धारण लक्षणों की आवृत्ति, तीव्रता और दवा की आवश्यकता के आधार पर किया जाता है:-

1. हल्का अस्थमा (Mild Intermittent Asthma)

  • लक्षण सप्ताह में 2 बार से कम

  • रात में सांस फूलना 2 बार से कम प्रति माह

  • इनहेलर का कभी-कभी इस्तेमाल

2. हल्का स्थायी अस्थमा (Mild Persistent Asthma)

  • लक्षण सप्ताह में 2 बार से अधिक, लेकिन रोज़ नहीं

  • नींद में बाधा और रोज़मर्रा के कामों में थोड़ी परेशानी

3. मध्यम स्थायी अस्थमा (Moderate Persistent Asthma)

  • लक्षण रोज़ आते हैं

  • इनहेलर का रोज़ाना इस्तेमाल

  • काम और नींद पर असर

4. गंभीर स्थायी अस्थमा (Severe Persistent Asthma)

  • दिन में कई बार लक्षण

  • रात में बार-बार सांस फूलना

  • रोज़मर्रा की गतिविधियों में गंभीर रुकावट

अस्थमा के लिए आयुर्वेद क्यों?

इनहेलर और दवाएं सिर्फ अस्थायी राहत देती हैं, लेकिन आयुर्वेद दोष संतुलन कर और श्वसन प्रणाली को मजबूत कर जड़ से समाधान करता है।

लाभ:

  • जड़ से उपचार

  • कोई हानिकारक केमिकल या स्टेरॉयड नहीं

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता और फेफड़ों की ताकत बढ़ाना

  • अटैक की आवृत्ति और तीव्रता कम करना

हमारा उपचार तरीका

चरण 1

विस्तृत परामर्श - आपके ट्रिगर्स और प्रकृति को समझना

चरण 2

सूजन कम करने और श्वसन नलिकाएं साफ करने के लिए व्यक्तिगत हर्बल दवाएं

चरण 3

आहार और जीवनशैली योजना – ट्रिगर्स से बचने और फेफड़ों को मजबूत करने के लिए

इलाज से नहीं, विश्वास से मिलती है राहत

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